कुछ ही दिनों मे द्विज ६ साल का हो जायेगा . गर्व होता है अपने छोटे से बच्चे को बढ़ते देख ..आश्चय्र होता है की छोटा सा गुड्डा देखते ही देखते कितना बड़ा हो गया ..लेकीन एक छोटी सी चुभन है ..की उसका बचपन सरकता जा रहा है.
आज द्विज को बस इतनी ही चिंता है की कब मेरा होमवर्क ख़तम होगा और कब मैं दोस्तों के साथ खेलने जाऊँगा ..कुछ ही सालों में वो सोचने लगेगा की कब मेरा काम ख़तम होगा ..कब मैं घर जाऊँगा .
आज खिलौनों को चुनता मेरा बच्चा कल करियर का चुनाव करेगा .
आज वो मुझसे पूछता है "मम्मा खाने मे क्या है ?" कल को वो खुद किराना - तरकारी खरीदने जितना बड़ा हो जायेगा .."मैं तुम्हारी मदद कर दूं मम्मा" कहता मेरा बेटा खुद से शायद खाना बनाने भी लगे .
पापा को कार के बारे में हज़ार सवाल पूछता द्विज खुदसे कार चलाने लगेगा .
मम्मा पापा आँखे बंद करो ..हाथ दो ..मेरे पास आपके लिए सरप्राइज है ...बड़ा होने पर भी क्या वो ऐसे ही मीठी मीठी सरप्राइज देगा?
कूदता , फुदकता , नाचता हुआ मेरा बेटा ...खुश हो कर जोर जोर से बोलता मेरा बेटा ..द्विज की आवाज़ ही बड़ी है ...वो धीरे से बोल ही नहीं सकता ..ख़ास करके खुश मिजाज़ मे .
" I am proud of you " कहने पर सारे दांत दिखाते हुए मीठी सी स्माइल देता द्विज ..वो कहते हैं न grinning from ear to ear ..उसकी मुस्कराहट उसकी आँखों में झलकती है .
कितनी बातें ..कितनी तसवीरें ...
ख़ुशी ख़ुशी टीचर का दिया स्टार दिखाता द्विज ...कार्टून्स की दुनिया में खोया द्विज ..दोस्तों से घिरा द्विज ...डेढ़ साल के छोटे भाई ईशान को अपने हाथों से खाना खिलाता साढ़े पांच साल का द्विज ....आगे आगे भागते द्विज के पीछे भाई भाई कर भागता हुआ ईशान ..और मुड़कर उसको गले लगाता हुआ द्विज ...मॉल में भीड़ के बीच दौड़ते ईशान को संभालने उसके पीछे दौड़ता द्विज ..छोटे ईशान की मस्तियों से परेशां ..फिर भी हमे समझाता मेरा बच्चा " वो छोटा है मम्मा ..उसको मत डांट " ...सोये हुए द्विज के ऊपर चढ़ जाता इशु।और नींद मे भी उसे गुड नाईट कहता द्विज...लेटे हुए द्विज के सर पर हाथ पसारता छोटा ईशान ..बड़े भाई को अपने राइडर पर बिठाकर धक्कामार घुमाता ईशान ...बोलिंग करता ईशान और उसको चोट न लगे ऐसे संभालकर बैटिंग करता द्विज ..भाई को स्कूल बस तक छोड़ने जाने के लिए जल्दी उठता ईशान ..बस की राह देखते हुए दोस्तों के साथ खेलते दौड़ते मेरे बच्चे ...सारा काम मुझसे ही करवाते हो कहकर हमसे काम निकलवाता हमारा बेटा .
आज हमारा घर भरा भरा है ..बच्चों और उनके दोस्तों की खिलखिलाहट से ..कल को वो बड़े हो जायेंगे ..ये गूँज भी शांत हो जायेगी ..अभी तो बचपन बाकी है ..द्विज का और उससे भी ज्यादा ईशान का ..जीभर कर मैं इसे देखना चाहती हूँ .. दोनों हाथों में इस सरकते जाते बचपन को भर लेना चाहती हूँ . काश इनमे थोडा सा बचपना बाकी रहे ..वो प्यारी सी मुस्कान ...आँखों की वो पारदर्शकता ..वो मासूमियत ..हमेशा इनके साथ रहे।